चूरू: ओलावृष्टि से 80% तक फसलों का नुकसान, किसान मुआवजे के लिए आंदोलन पर
राजस्थान के चूरू जिले में पिछले सप्ताह हुई जबरदस्त ओलावृष्टि ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। भारी ओलों के गिरने से खेतों में खड़ी फसलें नष्ट हो गईं, जिससे किसानों को करीब 80% तक का नुकसान हुआ है। इस आपदा से आहत किसान स्थानीय प्रशासन से राहत और मुआवजे की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक प्रशासन ने उनसे कोई वार्ता नहीं की है।

ओलावृष्टि से बर्बादी का मंजर
चूरू जिले के विभिन्न गांवों में तेज आंधी और भारी ओलावृष्टि ने कहर बरपाया। खेतों में खड़ी सरसों, गेहूं और चने की फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं। किसानों का कहना है कि कुछ गांवों में तो पूरा उत्पादन नष्ट हो गया है, जबकि कुछ क्षेत्रों में 50% से अधिक फसलें खराब हो गई हैं।
7 मार्च को हुआ राजगढ़-पिलानी हाईवे जाम
बढ़ती उपेक्षा और प्रशासन की चुप्पी के कारण 7 मार्च को किसानों ने राजगढ़-पिलानी हाईवे पर जाम लगा दिया। किसानों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
फावड़ों से ओले हटाने को मजबूर किसान
इस ओलावृष्टि के दौरान इतनी बड़ी मात्रा में ओले गिरे कि किसानों को फावड़ों से उन्हें हटाना पड़ा। कई गांवों में खेतों में इतनी मोटी परत बन गई थी कि फसलें पूरी तरह दब गईं।
किसानों की मांग: नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा
किसानों ने सरकार से तत्काल राहत और उचित मुआवजे की मांग की है। उनके अनुसार:
- प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए।
- हर खेत को एक यूनिट मानकर नुकसान का आकलन किया जाए।
- प्रभावित तहसीलों में विशेष राहत अभियान चलाया जाए।
- होली से पहले मुआवजे की प्रक्रिया पूरी की जाए।
सरकार और प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की जरूरत
झलको राजस्थान के माध्यम से किसानों ने आपदा प्रबंधन मंत्री और राज्य सरकार से अपील की है कि वे जिला प्रशासन को निर्देश जारी करें ताकि किसानों के साथ वार्ता हो और राहत योजना को जल्द से जल्द लागू किया जाए।
निष्कर्ष: किसानों को जल्द राहत मिलनी चाहिए
चूरू जिले के किसानों के लिए यह समय बेहद कठिन है। उनकी सालभर की मेहनत पलभर में बर्बाद हो गई और अब वे राहत की आस लगाए बैठे हैं। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे शीघ्र निर्णय लें और मुआवजे की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करें ताकि किसान दोबारा अपने खेतों में मेहनत कर सकें।