सरदारशहर (Sardarshahar News)
सवाई बलवानिया गांव में खेतों के रास्ते को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। उद्योगपति प्रह्लाद शराफ द्वारा खेतों तक पहुंचने वाले रास्ते को बंद किए जाने के बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया है। पहले प्रशासन ने हस्तक्षेप कर रास्ता खुलवाया था, लेकिन अब मामले ने राजनीतिक और कानूनी मोड़ ले लिया है। इसी क्रम में गुरुवार को ग्रामीणों ने डीएसपी कार्यालय का घेराव कर धरना प्रदर्शन किया और निष्पक्ष जांच की मांग की।

ग्रामीणों का आरोप: पुलिस और उद्योगपति की मिलीभगत
विकास मंच के अध्यक्ष एडवोकेट राजेंद्र राजपुरोहित के नेतृत्व में प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उद्योगपति प्रह्लाद शराफ ने पुलिस की मिलीभगत से उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करवाया। इसके बाद पुलिस ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाते हुए उसी दिन एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लगाकर मामला रफा-दफा कर दिया।
राजपुरोहित ने कहा, “हमने छह लोगों के नाम प्रस्तावित करते हुए सही तथ्यों के साथ मुकदमा दर्ज कराया था, लेकिन पुलिस ने सिर्फ एक पक्ष की सुनवाई करते हुए एफआर लगा दी।”
पहले तहसील कार्यालय पर धरना, अब डीएसपी ऑफिस का घेराव
इससे पहले ग्रामीणों ने तहसील कार्यालय पर भी धरना दिया था। लेकिन जब प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो गुरुवार को ग्रामीणों ने डीएसपी ऑफिस का घेराव किया। उनकी प्रमुख मांग थी कि:
- जांच अधिकारी को बदला जाए
- निष्पक्ष जांच हो
- आरोपियों के खिलाफ न्यायसंगत कार्रवाई की जाए
जनता का आक्रोश: “यदि न्याय नहीं मिला, तो होगा बड़ा आंदोलन”
प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो शुक्रवार को बड़ा आंदोलन किया जाएगा। एडवोकेट राजपुरोहित ने कहा, “हम गिरफ्तार होने के लिए तैयार बैठे हैं। प्रशासन यदि उद्योगपति के दबाव में काम करेगा तो यह लोकतंत्र की हत्या है।”
पुलिस का जवाब: निष्पक्ष और पारदर्शी जांच का भरोसा
पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी। डीएसपी कार्यालय से बयान आया कि “पुलिस हर मामले में कानून के तहत निष्पक्ष अनुसंधान करती है और इस मामले में भी पारदर्शिता बरती जाएगी।”
हालांकि, ग्रामीणों ने पुलिस पर यह भी आरोप लगाया कि एफआईआर की मंजूरी संडे के दिन ही ले ली गई और उसी दिन एफआर भी लगा दी गई, जो संदेहास्पद है।
ग्रामीणों की भावनात्मक अपील: “हम किसानों को न दबाएं”
धरने पर बैठे ग्रामीणों में बड़ी संख्या में किसान, दलित समाज, सर्वसमाज और अन्य संगठनों के लोग शामिल थे। सभी ने एक स्वर में कहा कि गांव की जमीन भू-माफियाओं को सौंपने के प्रयास हो रहे हैं और पुलिस उन्हें संरक्षण दे रही है।
राजपुरोहित ने कहा, “यदि हमें न्याय नहीं मिला तो हम गांव की सारी जमीन प्रशासन को समर्पित कर देंगे। हमें गिरफ्तार करो, हम जेल जाने को तैयार हैं। सच्चाई सामने लाने के लिए हम किसी भी हद तक जाएंगे।”
राजनीतिक दबाव और भ्रष्टाचार के आरोप
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन उद्योगपति के दबाव में काम कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि “पैसे लेकर एफआर लगाई गई और झूठे चालान पेश किए गए। यदि प्रशासन ने यह रवैया नहीं बदला, तो जनता कानून हाथ में लेने को मजबूर हो जाएगी।”
राजपुरोहित ने चेतावनी देते हुए कहा, “कल (शुक्रवार) को जनता प्रशासन को अपना ट्रेलर दिखाएगी। यदि हादसा हुआ तो जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।”
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