सरदारशहर, 3 मई: सरदारशहर पंचायत समिति ने ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए सामुदायिक शौचालय बनाने की महत्वपूर्ण योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत 30 सरकारी स्कूलों में सामुदायिक शौचालय बनाए जाएंगे, और इस पर 90 लाख रुपये का खर्च आएगा। प्रत्येक शौचालय का निर्माण लगभग 3 लाख रुपये में होगा।

पंचायत समिति की प्रधान निर्मला मधुसुदनसिंह राजपुरोहित ने इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि निर्माण कार्य 6 माह में पूरा किया जाएगा और स्कूलों को स्वच्छता के स्तर को सुधारने के साथ-साथ एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण मिलेगा। उन्होंने बताया कि अब तक 10 सरकारी स्कूलों से शौचालय बनाने की मांग आई है, जबकि बाकी 20 स्कूलों से प्रस्ताव दो दिनों में आने की उम्मीद है।
राजपुरोहित ने यह भी बताया कि यह योजना ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के सिद्धांत पर आधारित होगी, जिसके तहत सबसे पहले जो प्रस्ताव प्राप्त होगा, उस स्कूल को ही शौचालय निर्माण के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। अन्य स्कूल भी पंचायत समिति से संपर्क कर शौचालय निर्माण के लिए प्रस्ताव भेज सकते हैं।
विकास अधिकारी महेंद्र सोंलकी के अनुसार, इन सामुदायिक शौचालयों से स्कूलों में छात्रों और शिक्षकों के लिए स्वच्छता बनाए रखने में मदद मिलेगी। इससे न केवल संक्रामक रोगों का प्रसार कम होगा, बल्कि स्कूलों का वातावरण भी और अधिक स्वस्थ और सुरक्षित बनेगा। उन्होंने कहा कि यह कदम स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय सुविधाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
इस पहल से न केवल शिक्षा का माहौल बेहतर होगा, बल्कि यह सामुदायिक शौचालय योजना ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के महत्व को भी लोगों के बीच बढ़ावा देगी। यह योजना स्कूलों के छात्रों को बेहतर स्वास्थ्य के साथ-साथ स्वच्छता के प्रति जागरूक भी करेगी।
पंचायत समिति की इस योजना से ग्रामीण शिक्षा को और अधिक मजबूती मिलेगी और इस कदम से स्वच्छता और शिक्षा दोनों क्षेत्रों में सुधार की संभावना है। शौचालयों का निर्माण विद्यालयों में सुरक्षित, स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण बनाने के लिए किया जा रहा है, जिससे छात्रों के मानसिक और शारीरिक विकास में मदद मिलेगी।
यह पहल राजस्थान सरकार के स्वच्छ भारत मिशन और ग्रामीण शिक्षा के सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। ग्रामीण इलाकों में ऐसे विकास कार्यों से बच्चों को एक बेहतर शिक्षा वातावरण मिलेगा और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा।
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