सरदारशहर। शहर में तेज़ी से फैल रही अवैध कॉलोनियों पर रोक लगाने की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों ने शुक्रवार को नगरपरिषद कार्यालय पहुंचकर आयुक्त को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई कि नगर क्षेत्र में बिना स्वीकृति के बसाई जा रही अवैध कॉलोनियों पर तुरंत सख्त कार्रवाई की जाए।

बिना अनुमति के हो रहा है प्लॉटिंग और निर्माण
ज्ञापन में बताया गया कि शहर के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से राजगढ़ रोड, चूरू रोड, और डेगाना रोड के आसपास, कई कॉलोनाइज़र बिना किसी वैध अनुमति के प्लॉटिंग और निर्माण कार्य कर रहे हैं। इससे न केवल शहर की योजना प्रभावित हो रही है, बल्कि बुनियादी सुविधाओं जैसे जल आपूर्ति, सीवरेज और सड़क निर्माण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
नियमों की धज्जियां उड़ा रहे कॉलोनाइज़र
स्थानीय निवासी राजेन्द्र शर्मा, जिन्होंने प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व किया, ने बताया:
“नगरपरिषद की जानकारी में होते हुए भी कई अवैध कॉलोनियों का निर्माण हो रहा है। ये कॉलोनाइज़र बिना नक्शा पास कराए प्लॉट बेच रहे हैं, जिससे आमजन को भविष्य में बड़ी परेशानी हो सकती है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन कॉलोनाइज़रों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिस कारण प्रशासन की कार्रवाई धीमी या न के बराबर है।
ज्ञापन में मुख्य मांगे क्या रहीं?
प्रतिनिधिमंडल द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में निम्नलिखित प्रमुख मांगें रखी गईं:
- शहर की सभी अवैध कॉलोनियों की पहचान कर उनके विरुद्ध तुरन्त कार्रवाई की जाए।
- निर्माणाधीन अवैध निर्माणों को तत्काल प्रभाव से रोका जाए।
- आमजन को जानकारी देने के लिए कॉलोनियों की सूची सार्वजनिक की जाए।
- नगरपरिषद की वेबसाइट पर स्वीकृत और अस्वीकृत कॉलोनियों की जानकारी डाली जाए।
- दोषी कॉलोनाइज़रों पर मुकदमा दर्ज किया जाए।
नगरपरिषद आयुक्त ने दिया आश्वासन
नगरपरिषद आयुक्त प्रशांत जांगिड़ ने ज्ञापन प्राप्त करने के बाद प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि:
“नगरपरिषद द्वारा अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया पहले से जारी है। जल्द ही विशेष सर्वे टीम गठित कर पूरे क्षेत्र की जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।”
स्थानीय नागरिकों में आक्रोश, पारदर्शिता की मांग
शहरवासियों का कहना है कि उन्हें भरोसे के साथ प्लॉट खरीदना होता है, लेकिन अवैध कॉलोनियों की जानकारी ना होने के कारण वे धोखा खा जाते हैं। कुछ नागरिकों ने कहा कि नगरपरिषद को चाहिए कि वह ऑनलाइन पोर्टल या सूचना पटल पर अधिक पारदर्शिता रखे।
कविता देवी, एक स्थानीय गृहिणी ने बताया, “हमने प्लॉट खरीदा था, बाद में पता चला कि वो अवैध कॉलोनी में है, अब ना मकान बना सकते हैं और ना पैसे वापस मिल रहे हैं।”
नगरपरिषद पर उठ रहे सवाल
सामाजिक संगठनों ने नगरपरिषद की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अधिकारियों की अनदेखी के चलते ही अवैध कॉलोनियों को बढ़ावा मिला है।
एक वरिष्ठ नागरिक हनुमान सहाय पुरोहित ने कहा, “अगर प्रशासन ने समय रहते ध्यान दिया होता, तो आज सैकड़ों परिवार परेशान नहीं होते। अब जब कॉलोनियाँ बस गई हैं, तो रोकथाम भी मुश्किल हो रही है।”
निष्कर्ष: सख्ती नहीं हुई तो और बिगड़ेगा शहर का स्वरूप
सरदारशहर में बेतरतीब तरीके से फैलती अवैध कॉलोनियाँ शहर की मूलभूत संरचना और नियोजन व्यवस्था को चुनौती दे रही हैं। यदि समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले वर्षों में यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है।
नगरपरिषद द्वारा अगर पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ कार्य किया गया, तो न केवल अवैध कॉलोनियों पर अंकुश लगेगा, बल्कि आमजन का भरोसा भी बहाल होगा।
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