Sardarshahar News | सरदारशहर
सरदारशहर के नागरिकों की सुरक्षा को लेकर एक बेहद गंभीर लापरवाही सामने आई है। शहर में बना एक प्रमुख पुल दोनों ओर से बिना सुरक्षा दीवारों के अधूरा पड़ा हुआ है, जिससे किसी भी वक्त बड़ा हादसा हो सकता है। स्थानीय लोगों और राहगीरों में इसको लेकर भारी नाराज़गी और चिंता का माहौल है।

अधूरा पुल बना जान का खतरा
शहर के बीचोंबीच बना यह पुल, जो दो प्रमुख इलाकों को जोड़ता है, अभी तक पूरी तरह सुरक्षित नहीं बन पाया है। पुल के दोनों ओर न तो कोई रैलिंग है और न ही कोई पक्की दीवार, जो वाहनों को दुर्घटना से रोक सके।
यह पुल रोजाना सैकड़ों वाहनों, दुपहिया चालकों और स्कूली बच्चों का रास्ता है। बरसात, धुंध या रात के समय जब दृश्यता कम होती है, तब यह स्थिति और भी खतरनाक बन जाती है।
प्रशासन की अनदेखी या लापरवाही?
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस पुल का निर्माण कई महीनों पहले शुरू हुआ था, लेकिन अभी तक इसे पूर्ण रूप से तैयार नहीं किया गया है। खासतौर से सुरक्षा दीवारों का ना होना, एक गंभीर प्रशासनिक चूक को दर्शाता है।
स्थानीय निवासी महेश कुमार का कहना है:
“हमने कई बार नगरपालिका और संबंधित अधिकारियों को शिकायत दी, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला। जब तक कोई हादसा नहीं होगा, तब तक ये लोग नहीं जागेंगे।”
सोशल मीडिया पर उठी आवाज
शहर के युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर भी उठाया है। #SardarshaharBridgeSafety और #UnsafeBridge जैसे हैशटैग्स के ज़रिए लोग प्रशासन को जिम्मेदार ठहराने लगे हैं। कई वीडियो और फ़ोटो वायरल हो चुके हैं, जिनमें यह पुल साफ तौर पर बिना दीवार के दिखाई देता है।
इन पोस्टों में यह भी लिखा गया है कि “जनता की ज़िंदगी कोई मायने नहीं रखती क्या?” और “क्या किसी VIP के गिरने का इंतज़ार है?”
हादसों की आशंका बरकरार
इस पुल से जुड़े इलाके में पहले भी कई बार वाहन सड़क से नीचे गिर चुके हैं, हालांकि अभी तक कोई बड़ा जानलेवा हादसा नहीं हुआ है। लेकिन अगर यह स्थिति यूं ही बनी रही तो यह समय की बात है कि कोई बड़ा हादसा हो जाए।
विशेषज्ञों का मानना है कि पुल जैसे संरचनात्मक स्थानों पर सुरक्षा रैलिंग या कंक्रीट दीवार होना अनिवार्य होता है। इसके बिना यह सड़क पूरी तरह असुरक्षित मानी जाती है।
स्कूली बच्चों के लिए सबसे अधिक खतरा
इस पुल से कई स्कूली बसें और साइकिल सवार छात्र-छात्राएं भी गुजरते हैं। सुबह और दोपहर के समय जब यातायात सबसे अधिक होता है, तब यह पुल एक जानलेवा ज़ोन में बदल जाता है। कुछ स्कूलों ने अपने ड्राइवरों को वैकल्पिक मार्ग चुनने की सलाह दी है।
स्थानीय निवासी सविता देवी कहती हैं:
“हर दिन जब मेरे बच्चे इस पुल से स्कूल जाते हैं, मेरा दिल बैठा रहता है। प्रशासन को हमारी चिंता कब होगी?”
प्रशासन की प्रतिक्रिया
“Sardarshahar News” की टीम ने जब इस मामले में नगर पालिका और लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों से बात की, तो उन्होंने बताया कि दीवार निर्माण की योजना प्रस्तावित है, लेकिन बजट और टेंडर प्रक्रिया में देरी के चलते काम शुरू नहीं हो सका है।
हालांकि उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अगले 15–20 दिनों में निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
जनता की मांग: तुरंत एक्शन हो
स्थानीय निवासियों और नागरिक संगठनों की मांग है कि इस पुल पर अस्थायी सुरक्षा व्यवस्था तुरंत लगाई जाए, जब तक दीवारें नहीं बन जातीं। बांस या स्टील की रेलिंग भी लोगों की जान बचाने में मदद कर सकती है।
साथ ही यह भी मांग की जा रही है कि पुल पर चेतावनी बोर्ड और स्पीड लिमिट के साइन लगाए जाएं, ताकि लोग सतर्क रहें।
निष्कर्ष
सरदारशहर में बना यह अधूरा पुल एक गहरी लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता का प्रतीक बन चुका है। यह आवश्यक है कि अधिकारियों द्वारा शीघ्र निर्णय लेकर निर्माण कार्य पूरा कराया जाए, ताकि किसी मासूम की जान जाने से पहले हालात सुधारे जा सकें।
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