चूरू जिले के सरदारशहर में इन दिनों राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। नगर परिषद सभापति राजकरण चौधरी के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया के बीच अब जनता का असंतोष भी खुलकर सामने आने लगा है। आम लोगों ने साफ कहा कि नेताओं की लड़ाई से सबसे ज़्यादा नुकसान छोटे व्यापारियों और आम जनता को हो रहा है।

अविश्वास प्रस्ताव पर अनिश्चितता बरकरार
स्थानीय लोगों के अनुसार, प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया बीजेपी के बागी पार्षदों ने शुरू की थी, जिसमें कांग्रेस के पार्षद पहले से ही विपक्ष में थे। लेकिन जैसे-जैसे वोटिंग का समय नजदीक आया, पार्षदों की अनुपस्थिति और रैली की चर्चाओं ने माहौल को और अधिक संदेहास्पद बना दिया। कई लोगों का कहना था कि कुछ पार्षद विदेश यात्रा पर हैं तो कुछ वोटिंग से पहले ही गुम हो गए।
जनता का सीधा आरोप: शहर की समस्याओं पर ध्यान नहीं
सबसे बड़ी बात यह रही कि आम जनता ने नेताओं पर यह आरोप लगाए कि वह जनता के मुद्दों को छोड़कर केवल राजनीतिक लाभ के लिए पार्षदों की अदला-बदली और अविश्वास प्रस्ताव का खेल खेल रहे हैं।
सब्जी मंडी में रहने वाले दुकानदारों ने बताया कि एक हल्की बारिश के बाद ही चार-चार फुट तक पानी भर जाता है, जिससे उनकी दुकानदारी पूरी तरह ठप हो जाती है।
चार दिन तक बाजार बंद पड़ा रहा, कोई अधिकारी मिलने तक नहीं आया। 500 से ज्यादा दुकानदारों को नुकसान हुआ। यह सब नेताओं की आपसी लड़ाई की वजह से हो रहा है।” — एक स्थानीय व्यापारी।
ताल ट्रस्ट ने बचाया मेन मार्केट, नगर परिषद नाकाम
स्थानीय निवासी बताते हैं कि अगर ताल ट्रस्ट जैसी संस्था ना होती, तो पूरा मुख्य बाजार जलमग्न हो गया होता। लोगों ने कहा कि नगर परिषद ना नालियों की सफाई करवाती है, ना ही जल निकासी की कोई योजना बनाती है।
“यदि ताल ट्रस्ट की दीवारें ना होती तो पूरा बाजार डूब गया होता, व्यापारी बरबाद हो जाते।” — एक दुकानदार
नेताओं पर एकतरफा स्वार्थ का आरोप
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि पार्षद चुनाव जीतने के बाद जनता की समस्याओं से मुंह मोड़ लेते हैं। चाहे वह लाइट की समस्या हो, सड़कें टूटी हों या जलभराव, पार्षद अपने स्वार्थ में लगे रहते हैं।
“जनता उन्हें वोट देकर भेजती है, लेकिन वह केवल अपनी राजनीति चमकाने में लगे रहते हैं।”
नेताओं की रैली और जनता की बेरुखी
राजनीतिक माहौल इतना गर्म था कि कई भाजपा नेता और पूर्व विधायक राजेंद्र राठौड़ के आने की बात कही जा रही थी। लोगों को उम्मीद थी कि वोटिंग होगी, लेकिन भीड़ का अभाव और पार्षदों की अनुपस्थिति से साफ हो गया कि यह प्रक्रिया शायद पूरी ही न हो।
“अगर सच में वोटिंग होनी होती तो भीड़ ज्यादा होती। माहौल ऐसा नहीं है कि कुछ ठोस होने वाला है।”
जनता की नाराजगी और चेतावनी
कई व्यापारियों ने चेतावनी दी कि अगर ऐसा ही चलता रहा, तो आने वाले समय में जनता नेताओं को जवाब जरूर देगी। उन्होंने कहा कि जब तक नेता जनता के मुद्दों पर काम नहीं करेंगे, तब तक जनता भी उन्हें नहीं छोड़ेगी।
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