राजस्थान के चूरू जिले के सरदारशहर में नगर परिषद अध्यक्ष के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बड़ा राजनीतिक ड्रामा देखने को मिला। इस घटनाक्रम में पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक चालाक रणनीतिकार भी हैं।
कैसे पलटी राठौड़ ने बाज़ी?
बीजेपी के ही 14 पार्षदों द्वारा नगर परिषद अध्यक्ष राजकरण चौधरी के खिलाफ कांग्रेस के साथ मिलकर अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। लेकिन वोटिंग से ठीक पहले राजेंद्र राठौड़ के दखल के बाद 5-6 पार्षदों ने भाजपा में ‘घर वापसी’ कर ली, जिससे कोरम पूरा नहीं हो पाया और प्रस्ताव फेल हो गया।
राजनीतिक रणनीति या मास्टरस्ट्रोक?
बताया जा रहा है कि इस पूरी रणनीति की स्क्रिप्ट खुद राठौड़ ने तैयार की थी। अविश्वास प्रस्ताव से पहले उनके खुले जीप में पहुंचने और सभापति को माला पहनाकर समर्थन जताने के दृश्य ने साफ कर दिया कि ये सिर्फ एक राजनीतिक बचाव नहीं था, बल्कि जनता के बीच प्रभाव बढ़ाने की रणनीति भी थी।
चुनाव हारे, पर पकड़ बरकरार
हालांकि राठौड़ पिछले विधानसभा चुनाव में तारानगर सीट से हार गए थे, लेकिन सरदारशहर की राजनीति में उनका वर्चस्व अब भी कायम है। इस जीत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वे न केवल संगठनात्मक स्तर पर मजबूत हैं, बल्कि पार्टी के भीतर असंतोष को भी नियंत्रित करने में सक्षम हैं।
भविष्य की राजनीति में बढ़ती भूमिका
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राठौड़ चूरू जिले में अपनी जमीनी पकड़ को और मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। उनके पुत्र पराक्रम राठौड़ भी जल्दी ही राजनीति में प्रवेश कर सकते हैं। ऐसे में यह घटना उनके भविष्य की रणनीति का हिस्सा हो सकती है।
जनता का क्या कहना है?
स्थानीय लोगों का मानना है कि राजेंद्र राठौड़ ने समय रहते स्थिति को संभालकर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि आने वाले निकाय या विधानसभा चुनाव में वे कौन सी नई रणनीति अपनाते हैं।
- सरदारशहर में सभापति राजकरण चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव फेल, जानिए क्यों नहीं हुई वोटिंग
- स्मार्ट मीटर के विरोध में सरदारशहर में गरजा विकास मंच, एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
- राजेंद्र राठौड़ ने सरदारशहर में दिखाई राजनीतिक ताकत, अविश्वास प्रस्ताव में पलटी बाज़ी
- सरदारशहर में नगर परिषद के हालात पर जनता का फूटा गुस्सा, अविश्वास प्रस्ताव पर दिखा संशय
- राजेंद्र राठौड़ ने सरदारशहर में दिखाया राजनीतिक दमखम, नहीं हो सका अविश्वास प्रस्ताव पारित