घटनाक्रम: क्या हुआ था उस दिन?
Sardarshahar तहसील के एक गाँव में गोशाला/मंदिर परिसर के भीतर आयोजित भागवत कथा समाप्त होने के बाद विवादित स्थिति उत्पन्न हो गयी। कथावाचन समाप्ति के बाद महाराज जी ने सभी से मंदिर में प्रवेश करने को कहा। इसी बीच कुछ महिलाओं और ग्रामीणों के मंदिर में प्रवेश करने पर एक समूह ने उनका विरोध किया और धक्कामुक्की व मारपीट की घटनाएँ सामने आईं। कई ग्रामीणों के तालुके नदीे से मिली जानकारी के अनुसार मामला शाम करीब 6:00–6:30 बजे के बीच हुआ था।
मुक़ाबले में कुछ लोगों ने लाठी-डंडों का प्रयोग किया और पीछे से खींचकर भी मारपीट की गई। प्रभावितों ने आरोप लगाया कि इसमें कुछ नामज़द लोग—सूरदास, शंकर दास, अनिल, हिम्मत आदि—शामिल थे। इस घटना से गाँव में तनाव का माहौल बन गया और लोग पुलिस थाने पर इकठ्ठा हो गए।

मुख्य आरोप — प्रवेश पर रोक और जातिगत टिप्पणी
घटना के दौरान आरोपियों ने कहा कि मंदिर में सिर्फ़ कुछ जातियों के लोग ही प्रवेश कर सकते हैं और एससी/एसटी समुदाय के लोगों को मंदिर में जाने से रोका जाना चाहिए। आरोपियों ने यह भी कहा कि या तो मंदिर पर बोर्ड लगवाया जाए कि “एससी/एसटी अंदर न आएं” या फिर केवल उन्हीं को बुलाया जाए — इस तरह के विवादित बयान दर्ज किए गए। इस प्रकार के कथन ग्रामीणों में भारी नाराज़गी और आक्रोश का कारण बने। प्रभावित पक्ष ने बताया कि यह समस्या पीछले दो साल से उठती आ रही है और पहले भी इसी प्रकार के तनाव की घटनाएँ हो चुकी हैं।
पीड़ितों की बात — मारपीट, छेड़छाड़ और पुलिस कार्रवाई की माँग
पीड़ितों ने बताया कि कई लोगों को चोटें आईं, कुछ बुजुर्गों और महिलाओं के साथ बदसलूकी हुई और एक लड़की के साथ छेड़खानी की भी शिकायत सामने आई, परंतु अभी तक उस मामले में कोई न्यायिक मामला दर्ज नहीं हुआ है। ग्रामीणों ने आरोपियों की गिरफ्तारी और निष्पक्ष जांच की मांग की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वे संविधान और कानून के तहत समान अधिकार चाहते हैं और जाति-आधारित भेदभाव बर्दाश्त नहीं करेंगे।
पुलिस की प्रतिक्रिया और स्थानीय प्रशासन
घटना के बाद स्थानीय थाने में कई लोग इकट्ठा हुए और पुलिस ने आश्वासन दिया कि मामले की तफ्तीश की जाएगी। पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया या पकड़े जाने की बात कही जा रही है, वहीं प्रभावति ग्रामीणों ने पुलिस से तेज़ कार्रवाई की उम्मीद जताई है। हालांकि ग्रामीणों ने बताया कि कुछ बार कार्रवाई हुई परन्तु स्थायी समाधान नहीं निकला। सरपंच व अन्य सार्वजनिक प्रतिनिधियों को मामले में बुलाया गया पर फिलहाल तनाव बना हुआ है।
सामाजिक और कानूनी निहितार्थ
Sardarshahar मंदिर विवाद केवल एक स्थानीय झगड़े तक सीमित नहीं— यह धार्मिक स्थानों पर समान प्रवेश, सामाजिक समरसता और जातिगत भेदभाव जैसे संवेदनशील मुद्दों को उजागर करता है। यदि आरोप सत्य पाए जाते हैं तो यह भारतीय संविधान के समानता सिद्धांत के खिलाफ होगा और अपराध के दायरे में आएगा। स्थानीय प्रशासन और पुलिस का दायित्व बनता है कि वे निष्पक्ष जांच कर सभी आरोपियों को कानूनी रूप से जवाबदेह ठहराएँ और प्रभावितों को सुरक्षा व न्याय दिलाएँ।
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