खेतों की हरियाली बनी बेबसी की तस्वीर
राजस्थान के चूरू जिले के नैनासर और आसपास के गांवों में इस बार खेतों में हरियाली नहीं बल्कि बेबसी उगी है। ग्वार की फसल, जो कभी किसानों की उम्मीदों की तरह लहराती थी, अब झुलसा रोग और कीटों की मार से पूरी तरह नष्ट होती दिखाई दे रही है। खेतों के हर पत्ते और तने पर बीमारी का असर साफ झलक रहा है।

ग्वार की फसल पर झुलसा रोग का हमला
गांवों में फैले झुलसा (ब्लाइट) रोग ने ग्वार की फसल को बर्बादी के कगार पर पहुँचा दिया है। किसानों का कहना है कि उन्होंने बार-बार दवाइयों का छिड़काव किया, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
- फसल के पत्ते सूखकर झुलस गए हैं।
- तने टूटकर जमीन पर झुक गए हैं।
- हरियाली की जगह खेतों में पीला और काला रंग दिखाई दे रहा है।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह रोग जीवाणु और फफूंद से फैलता है और समय पर प्रबंधन न होने पर पूरी फसल को चौपट कर देता है।
कीट और फफूंद दोनों का प्रकोप
किसानों के अनुसार इस बार झुलसा रोग के साथ-साथ सफेद मक्खी, थ्रिप्स और एफिड्स (रस चूसने वाले कीट) ने भी फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। ये कीट पौधों का रस चूसकर उन्हें कमजोर कर देते हैं।
दवा के कई छिड़काव के बावजूद असर न होने से किसान हताश हैं।
किसानों की बेबसी और दर्द
गांवों के किसानों का कहना है कि यह बीमारी सिर्फ खेतों को नहीं बल्कि उनकी आत्मा को झुलसा रही है।
- किसान बताते हैं कि हर बीज उन्होंने खून-पसीने से सींचा था।
- ग्वार की फसल उनके बच्चों की पढ़ाई, परिवार की रोज़ी-रोटी और भविष्य की उम्मीद थी।
- लेकिन अब पूरा सपना राख में बदलता नजर आ रहा है।
एक किसान ने बताया कि “हमने 16 तारीख को बुवाई की थी, कई बार दवाइयाँ डालीं, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। अगर यही हाल रहा तो 15–20 दिन में पूरी फसल चौपट हो जाएगी।”
वैज्ञानिकों ने दिए सुझाव
कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों ने कहा कि झुलसा रोग और रस चूसने वाले कीटों से बचाव के लिए किसानों को सुबह और शाम के समय उचित दवाइयों का छिड़काव करना चाहिए।
यदि सही समय पर प्रबंधन किया जाए तो इस रोग और कीटों पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
प्रशासन और सरकार से मदद की गुहार
गांव के किसानों का कहना है कि अब उनके पास न तो दवा बची है और न ही पैसा। वे सिर्फ सरकार और प्रशासन की ओर उम्मीद से देख रहे हैं। किसान मांग कर रहे हैं कि:
- प्रशासन मौके पर आकर वास्तविक स्थिति का आकलन करे।
- प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए।
- भविष्य में ऐसी स्थिति से बचाव के लिए उचित कदम उठाए जाएं।
ग्वार की बर्बादी का बड़ा असर
ग्वार राजस्थान की प्रमुख नकदी फसल है। इससे गम, पशु चारा और कई औद्योगिक उत्पाद बनाए जाते हैं। अगर इस बार फसल चौपट होती है तो:
- किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होगा।
- पशुपालन पर भी असर पड़ेगा।
- क्षेत्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।
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