चूरू के वार्ड नंबर 37 और आसपास के इलाकों में जलभराव और गंदगी की समस्या से लोग बुरी तरह त्रस्त हैं। बारिश हो या न हो, मोहल्ले में जगह-जगह पानी भरा रहता है, जिससे लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। स्कूल जाने वाले बच्चों को लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है, जबकि दूध और सब्जी विक्रेता मोहल्ले में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं, जिससे खाने-पीने की चीजों की भारी किल्लत हो गई है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन से कई बार शिकायत की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया है।

गंदगी और जलभराव की इस समस्या के पीछे मुख्य वजह नगर परिषद की लापरवाही और खराब ड्रेनेज सिस्टम है। मोहल्ले में जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण मामूली सी बारिश भी इलाके को जलमग्न कर देती है। सड़कों पर जमा गंदे पानी की वजह से बीमारियां फैलने का खतरा भी बढ़ गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह समस्या कोई नई नहीं है, बल्कि वर्षों से बनी हुई है, लेकिन प्रशासन के कानों तक जूं तक नहीं रेंग रही। नालियां जाम हैं, और खुले पड़े सीवरेज चेंबर दुर्घटनाओं को न्योता दे रहे हैं। हाल ही में एक सांड खुले चेंबर में गिर गया था, जिसे बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला गया। लोगों को डर है कि अगर इसी तरह स्थिति बनी रही तो कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
स्थानीय निवासी कांता सुंदरिया का कहना है कि पिछले कई दिनों से जलभराव की समस्या बनी हुई है, लेकिन नगर परिषद के अधिकारी इसे हल करने में कोई रुचि नहीं दिखा रहे। उनका कहना है कि उन्होंने प्रशासन को कई बार फोन कर शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मोहम्मद इरफान, जो इसी इलाके के रहने वाले हैं, ने बताया कि मोहल्ले के लोगों ने खुद गंदगी साफ करने की कोशिश की, लेकिन पानी की निकासी न होने के कारण यह समस्या जस की तस बनी हुई है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, बुजुर्ग घरों में कैद होकर रह गए हैं, और रोजमर्रा की जरूरतों की चीजें तक लोगों को नहीं मिल पा रही हैं।
लोगों का आरोप है कि नगर परिषद केवल कागजों में सफाई अभियान चला रही है, लेकिन जमीन पर कुछ भी नहीं हो रहा। अगर प्रशासन ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो लोगों को भूख हड़ताल और सड़क पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। मोहल्ले में रहने वाले लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर समस्या का जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे बड़े आंदोलन की योजना बनाएंगे। उनका कहना है कि हर बार यही होता है – शिकायतें की जाती हैं, मीडिया में खबरें चलती हैं, लेकिन प्रशासन आंखें मूंदे बैठा रहता है।
इस पूरे मामले में प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर उनकी परेशानी का हल कब निकलेगा? क्या प्रशासन तब ही जागेगा जब कोई बड़ा हादसा हो जाएगा? इलाके में रहने वाले लोगों ने नगर परिषद से मांग की है कि जल्द से जल्द सफाई अभियान चलाकर गंदगी और जलभराव की समस्या को हल किया जाए। साथ ही, खुले सीवरेज चेंबर को ढंका जाए ताकि कोई अनहोनी न हो। स्थानीय लोगों ने कहा कि अगर प्रशासन अब भी नहीं जागता, तो वे मुख्यमंत्री तक इस मामले को लेकर जाएंगे।
चूरू की यह समस्या केवल एक मोहल्ले की नहीं, बल्कि पूरे शहर की है। शहर के कई इलाकों में जलभराव और सफाई की समस्या बनी हुई है, लेकिन प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा। लोग अब यह सवाल कर रहे हैं कि आखिर नगर परिषद किसके लिए काम कर रही है? क्या उसे केवल त्योहारों के समय दिखावटी सफाई करनी होती है? अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो लोगों को मजबूरन सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़ेगा। प्रशासन को चाहिए कि वह तुरंत कार्रवाई करे और चूरू के लोगों को इस समस्या से राहत दिलाए।