Sardarshahar News | सरदारशहर: चूरू जिले के सरदारशहर क्षेत्र के कवलासर गांव में प्रस्तावित ग्रीड सबस्टेशन (जीएसएस) की भूमि बदलने की आशंका को लेकर ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला। ग्रामीणों ने गांव की सरपंच विमला देवी शर्मा के नेतृत्व में धरना-प्रदर्शन किया और विभागीय अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए।

विभागीय अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप
धरना स्थल से सरपंच विमला देवी शर्मा ने मंच से आरोप लगाया कि पहले जिस सरकारी भूमि पर जीएसएस बनना तय हुआ था, उसे बदलकर अब एक निजी खेत को प्रस्तावित किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि यह कार्य विभागीय अधिकारियों और निजी स्वार्थ से प्रेरित लोगों की मिलीभगत से किया जा रहा है, जो सरकारी संसाधनों और किसानों के हितों के साथ बड़ा धोखा है।
पूर्व सरपंच ने बताई किसानों की समस्याएं
पूर्व सरपंच गौरीशंकर शर्मा ने बताया कि लंबे समय से क्षेत्र में जीएसएस की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। पांच गांव एक ही फीडर से जुड़े हैं, जिससे लोड अधिक होने के कारण किसानों की मोटरें लगातार जल रही हैं। ग्राम पंचायत ने पहले से मौजूद 33 केवी लाइन के पास की भूमि को प्रस्तावित किया था, जिससे सरकार को अतिरिक्त खर्च भी नहीं करना पड़ता।
लेकिन अब गांव के ही मुखराम देहड़ द्वारा अपनी निजी भूमि को प्रस्तावित कर दिया गया है, जो न केवल दूर स्थित है, बल्कि नई फीडर लाइनें डालने के कारण सरकार पर करोड़ों रुपए का अतिरिक्त बोझ भी डालेगा।
निजी लाभ के लिए भूमि बदलाव का आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी भूमि को बदलकर निजी खेत को प्रस्तावित करना केवल निजी लाभ के लिए किया जा रहा है। यह कदम किसानों के हितों के खिलाफ है और इससे सरकारी बजट पर भी भारी असर पड़ेगा। ग्रामीणों ने इस भूमि बदलाव की गहन जांच की मांग की है।
मुख्यमंत्री को सौंपेंगे ज्ञापन
ग्रामीणों ने ऐलान किया है कि सोमवार को वे चूरू पहुंचकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे। इस ज्ञापन के माध्यम से वे मांग करेंगे कि जीएसएस वहीं स्थापित किया जाए, जहां पहले प्रस्तावित किया गया था। किसान नेताओं मधुसूदन जी और ऋणवा जी के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीण मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात रखेंगे।
राजनीतिक दबाव के आरोप
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दबाव के चलते जीएसएस की लोकेशन बदली जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में जिस भूमि को प्रस्तावित किया गया था, वहां सड़क सुविधा भी मौजूद है और कोई भी सामान्य नागरिक जरूरत पड़ने पर जीएसएस तक आसानी से पहुंच सकता है। वहीं दूसरी ओर प्रस्तावित नई भूमि दूरस्थ क्षेत्र में है, जिससे न केवल किसानों को असुविधा होगी बल्कि सरकार का भारी खर्च भी होगा।
आंदोलन और तेज करने की चेतावनी
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया और जीएसएस की लोकेशन को बदलने का प्रयास जारी रहा तो वे अपना आंदोलन और अधिक तेज करेंगे। साथ ही जिला कलेक्टर को भी ज्ञापन सौंपा जाएगा। ग्रामीणों ने विश्वास जताया कि ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ जिला कलेक्टर उनकी समस्या को समझेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे।
निष्कर्ष
कवलासर गांव में जीएसएस को लेकर उठे विवाद ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि विकास कार्यों में पारदर्शिता और जनहित सर्वोपरि होना चाहिए। ग्रामीणों की मांगों और चिंताओं को नजरअंदाज करना केवल प्रशासनिक असफलता नहीं होगी, बल्कि यह किसानों के हितों के खिलाफ भी जाएगा। अब देखना यह होगा कि सरकार और प्रशासन इस मामले में किस तरह का रुख अपनाते हैं।
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