राजस्थान विधानसभा में हाल ही में पेश किया गया “राजस्थान लैंड रेवेन्यू अमेंडमेंट एंड वैलिडेशन बिल 2025” राज्य के औद्योगिक विकास और भूमि उपयोग के मामलों को लेकर एक बड़ा विवाद का कारण बन गया है। इस बिल के जरिए रिक्को (Rajasthan State Industrial Development and Investment Corporation) के अधिकारियों को औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि उपयोग परिवर्तन (conversion) की अनुमति देने की बात कही जा रही है। हालांकि, कई जानकारियों के अनुसार, रिक्को के अधिकारियों के पास इस प्रकार के बदलाव करने का अधिकार नहीं था। अब इस बिल के तहत इसे वैध बनाने की कोशिश की जा रही है, जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इस लेख में हम इस बिल से जुड़ी प्रमुख बातें और इसके पीछे छिपे उद्देश्यों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

रिक्को के अधिकारियों का कन्वर्जन में क्या रोल था?
राजस्थान लैंड रेवेन्यू अमेंडमेंट एंड वैलिडेशन बिल 2025 में एक बड़ा सवाल उठता है कि जब रिक्को के अधिकारियों के पास भूमि उपयोग परिवर्तन का कोई अधिकार नहीं था, तो उन्होंने औद्योगिक भूमि को आवासीय या वाणिज्यिक भूमि में क्यों बदला? सुप्रीम कोर्ट के फैसले में भी यह स्पष्ट किया गया था कि रिक्को के अधिकारियों ने बिना किसी समझौते के इन बदलावों को किया, जो कानून के खिलाफ था। इसके बावजूद, यह बिल लाकर अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय और उसकी व्याख्या
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि रिक्को के अधिकारियों ने जो कन्वर्जन किए, वे बिना किसी कानूनी अधिकार के थे। इसके बावजूद, राज्य सरकार ने इस बिल को लाकर अधिकारियों को संरक्षण देने का प्रयास किया। इस निर्णय में यह भी बताया गया था कि रिक्को का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक क्षेत्रों का विकास करना था, न कि उन क्षेत्रों का कमर्शियल या रेजिडेंशियल उपयोग बढ़ाना। इसके बावजूद, रिक्को अधिकारियों ने ये बदलाव किए, जिनकी कानूनी वैधता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
प्राधिकरण और अधिकारों का प्रश्न
एक बड़ा सवाल यह भी है कि रिक्को को इन कन्वर्जन के लिए अधिकार दिया गया या नहीं। यह बिल इस बात की पुष्टि करने के प्रयास में है कि रिक्को को यह अधिकार था, जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार, इसके पास कोई ऐसा अधिकार नहीं था। विशेष रूप से जब औद्योगिक भूमि को आवासीय या वाणिज्यिक रूप में बदला जाता है, तो यह गंभीर सवाल खड़ा करता है कि क्या यह बदलाव सही था और इसके पीछे क्या उद्देश्य था।
क्या बड़े उद्योगों को फायदा पहुंचाने का प्रयास किया गया?
राजस्थान में उद्योगों का विकास एक महत्वपूर्ण पहलू है, लेकिन इस बिल के आने के बाद यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या बड़े उद्योगों को लाभ पहुंचाने के लिए यह कदम उठाया गया है? कुछ जानकारों का मानना है कि कुछ बड़े उद्योगों को फायदा पहुंचाने के लिए ही इस बिल को पेश किया गया है, ताकि रिक्को अधिकारियों को संरक्षण मिल सके। इसके अलावा, यह भी कहा जा रहा है कि इस बिल के माध्यम से सरकार कुछ बड़े उद्योगपतियों के फायदे के लिए काम कर रही है, जो राज्य की सामान्य जनता के हित में नहीं हो सकता।
स्थानीय निकायों को अधिकार देने की आवश्यकता
यदि औद्योगिक क्षेत्र शहर के बीच में आ जाते हैं, तो स्थानीय निकायों को इन क्षेत्रों का प्रबंधन करने का अधिकार दिया जाना चाहिए। जैसे कि जेडीए (Jaipur Development Authority) या यूआईटी (Urban Improvement Trust) अन्य क्षेत्रों को विकसित कर स्थानीय निकायों को ट्रांसफर करते हैं, उसी तरह इन औद्योगिक क्षेत्रों का प्रबंधन भी स्थानीय निकायों को दिया जाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि ये क्षेत्र स्थानीय आवश्यकताओं और विकास योजनाओं के अनुरूप उपयोग किए जाएं।
होटल उद्योग और औद्योगिक क्षेत्र में बदलाव
इसके अलावा, होटल उद्योग भी लगातार मांग कर रहा है कि उसे औद्योगिक क्षेत्र का दर्जा दिया जाए, ताकि वह अधिकतम विकास कर सके। हालांकि, पिछले कुछ सालों में इस पर अस्थायी रोक लगी हुई थी, और अभी तक वह हटाई नहीं जा सकी है। इस विषय में भी यह सवाल उठता है कि क्या सरकार और अधिकारियों ने इस बदलाव को उद्योगपतियों के फायदे के लिए लाया है।
विधानसभा में उठे सवाल
राजस्थान विधानसभा में इस बिल के खिलाफ गंभीर सवाल उठाए गए हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह बिल अधिकारियों की गलत कार्यवाही को सही ठहराने के प्रयास के रूप में सामने आया है। साथ ही, उन्होंने मांग की कि इस बिल की जांच होनी चाहिए और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने बिना अधिकार के भूमि का कन्वर्जन किया।