सरदारशहर में अतिक्रमण हटाने की आधी रात की कार्रवाई पर भड़के एडवोकेट भाटी, नगर परिषद पर गंभीर आरोपमें नगर परिषद द्वारा आधी रात को की गई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर शहर के वरिष्ठ एडवोकेट भाटी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे “पूरी तरह से गलत और नियमों के विरुद्ध” बताया है। एडवोकेट भाटी का कहना है कि बिना किसी पूर्व सूचना और नियमानुसार प्रक्रिया के, रात के अंधेरे में मकान तोड़ना सरासर अवैध है।

पट्टाशुदा मकानों को बनाया गया निशाना
एडवोकेट भाटी ने आरोप लगाया कि जिन मकानों को तोड़ा गया, वे पट्टाशुदा और वैध रिहायशी मकान थे। इनमें से कई घरों में लोग उस समय मौजूद नहीं थे क्योंकि वे दूसरे शहरों जैसे गुवाहाटी, कोलकाता या दिल्ली गए हुए थे। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि रेडियो जी की हवेली के पश्चिम में एक मकान को तिरछे तरीके से तोड़ा गया, मानो रात में किसी कुत्ते ने दीवार कुतर दी हो।
नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं
नगरपालिका अधिनियम के तहत किसी भी सड़क को चौड़ा करने के लिए एक तय प्रक्रिया होती है। इसके अनुसार सबसे पहले नगरपालिका की बैठक बुलाई जाती है, प्रस्ताव पास होता है, नक्शे की मंजूरी नगर नियोजक से ली जाती है और फिर संबंधित पट्टाधारकों को नोटिस दिया जाता है। एडवोकेट भाटी का आरोप है कि इन सभी प्रक्रियाओं की अवहेलना करते हुए नगर परिषद ने बिना किसी सूचना के रात को दीवारें तोड़नी शुरू कर दीं।
रात में कार्रवाई पर जताई आपत्ति
उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकारी कार्यालयों का समय सुबह 9:30 बजे से शुरू होता है, तो रात को 12 बजे यह किस प्रकार की सरकारी कार्रवाई मानी जा सकती है? उन्होंने इसे “चोरी जैसी हरकत” बताया और कहा कि उन्होंने अपनी 70 वर्ष की उम्र में कभी किसी प्रशासनिक व्यक्ति को इस तरह रात में निर्माण तोड़ते नहीं देखा।
नगर परिषद की बैठकों पर भी उठाए सवाल
एडवोकेट भाटी ने यह भी कहा कि पिछले कई वर्षों से नगर परिषद की बैठकें नहीं हो रही हैं। उन्होंने बताया कि आखिरी बार नगर परिषद की बैठक 22 मार्च 2022 को हुई थी। जब बैठकें ही नहीं हो रही हैं, तो प्रस्ताव कैसे पारित किए जा सकते हैं? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 61 पार्षदों में से कोई भी इस मुद्दे पर आवाज नहीं उठा रहा।
भूमि अर्जन अधिनियम की अनदेखी
एडवोकेट भाटी ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर नगर परिषद को किसी भूमि का अधिग्रहण करना होता है, तो उसे भूमि अर्जन अधिनियम 1894 के तहत करना होगा। बिना अधिग्रहण और मुआवज़े के मकानों को तोड़ना पूरी तरह गैरकानूनी है। उन्होंने नगर परिषद के इस तर्क को भी खारिज किया कि कुछ लोगों ने स्वेच्छा से रास्ता चौड़ा करने के लिए अनुमति दी थी।
जागरूकता की कमी और जिम्मेदारों पर निशाना
एडवोकेट भाटी ने नागरिकों और प्रतिनिधियों की चुप्पी पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अगर नगर परिषद सभापति को कानून की जानकारी नहीं है, तो उन्हें पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून की जानकारी न होना, कोई बहाना नहीं हो सकता।
सड़क निर्माण और पाइपलाइन की गुणवत्ता पर भी सवाल
इसके साथ ही उन्होंने आरयूआईडीपी द्वारा बिछाई जा रही पाइपलाइनों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि सर्दारशहर में पहले ही कई बार पाइपलाइनें बिछाई जा चुकी हैं और अब छठी बार नई काली पाइपलाइनें बिछाई जा रही हैं जो पीवीसी पाइप की तुलना में कमजोर हैं।
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