परिचय: लूणासर गांव के वीर सपूत को अंतिम विदाई
राजस्थान के चूरू जिले के सरदारशहर तहसील स्थित ग्राम लूणासर का वीर जवान भंवरलाल सारण देश की सेवा करते हुए शहीद हो गया। जब उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो वहां का माहौल गमगीन हो गया। हर कोई अपने इस वीर सपूत की शहादत पर गर्व और दुख दोनों महसूस कर रहा था।

सेना में सेवा और शहादत
भंवरलाल सारण भारतीय सेना में अपनी सेवा दे रहे थे। देश की सीमा पर तैनाती के दौरान उन्होंने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए वीरगति प्राप्त की। सेना की ओर से उनकी शहादत की सूचना जैसे ही गांव और परिजनों तक पहुंची, पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।
गांव पहुंचा पार्थिव शरीर, उमड़ा जनसैलाब
शहीद भंवरलाल का पार्थिव शरीर सेना के वाहन से जब लूणासर गांव लाया गया, तो हजारों की भीड़ अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़ी।
- घर के बाहर मातम पसरा हुआ था
- परिजन, रिश्तेदार और गांववाले बिलख-बिलख कर रो रहे थे
- हर आंख नम थी और ‘शहीद अमर रहे’ के नारों से गांव गूंज उठा
14 वर्षीय बेटे ने दी मुखाग्नि
शहीद भंवरलाल सारण के 14 वर्षीय बेटे ने नम आंखों से अपने पिता को मुखाग्नि दी। यह पल वहां मौजूद हर किसी को भावुक कर गया। एक ओर जहां पूरे गांव में शोक था, वहीं बेटे के साहस को देख हर कोई उसकी हिम्मत की सराहना कर रहा था।
परिवार का हाल: मां और पत्नी बेसुध
शहीद की मां और पत्नी गहरे सदमे में हैं। दोनों का रो-रोकर बुरा हाल है। गांव की महिलाएं उन्हें ढांढस बंधा रही थीं, लेकिन यह ग़म शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। छोटे बच्चों की आंखें भी अपने पिता के इंतजार में थी, लेकिन अब वह सिर्फ तिरंगे में लिपटे हुए मिले।
सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
शहीद भंवरलाल सारण का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया।
- सेना के जवानों ने सलामी दी
- तिरंगे में लिपटे शरीर को सम्मानपूर्वक परिजनों को सौंपा गया
- पूरा गांव अंतिम यात्रा में शामिल हुआ
प्रशासन और नेताओं की मौजूदगी
इस दुखद मौके पर स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधि और पुलिस अधिकारी भी मौजूद रहे।
- सरदारशहर के विधायक और जिला कलेक्टर ने शहीद को श्रद्धांजलि दी
- सरकार की ओर से मुआवजा और सहायता की घोषणा भी की गई
- लोगों ने शहीद के नाम पर गांव में स्मारक बनाए जाने की मांग की
Jhalko Rajasthan और Sardarshahar News की रिपोर्ट
Sardarshahar News की टीम जब मौके पर पहुंची, तो देखा कि गांव का हर घर दुख में डूबा हुआ था। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि भंवरलाल बचपन से ही देशभक्त थे और सेना में जाकर देश सेवा करने का सपना देखा करते थे।
उनकी शहादत से गांव को भले गहरा आघात पहुंचा है, लेकिन साथ ही गौरव भी है कि उन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए।
गांववासियों की मांग: शहीद के नाम पर हो स्कूल या स्मारक
गांव के युवाओं और बुजुर्गों ने प्रशासन से मांग की कि
- गांव में शहीद भंवरलाल सारण के नाम पर स्मारक बने
- सरकारी स्कूल या चौक का नाम उनके नाम पर रखा जाए
- उनके परिवार को सरकारी नौकरी और बच्चों की पढ़ाई का पूरा प्रबंध हो
निष्कर्ष: एक बेटे की वीरगति, पूरे देश का गर्व
भंवरलाल सारण ने अपने प्राणों की आहुति देकर यह साबित कर दिया कि राजस्थान की धरती वीरों की जननी है।
Sardarshahar News शहीद को नमन करता है और उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता है
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